सरसावा का इतिहास
आज हम सरसावा का इतिहास के बारे में बता रहे हैं. सरसावा एक छोटा सा कसबा है, जो उत्तर प्रदेश के उतरी भाग पर स्थित है. इसके दाहिनी ओर दो शहर है. जिनका नाम सहारनपुर और यमुना-नगर है. सरसावा में ऐसी बहुत सी ऐतिहासिक चीज़े है, जो आज तक सरसावा को ऐतिहासिक बनाएँ रखती हैं. जैसे प्रमुख टीला, हवाई अड्डा,एक पुराना मंदिर , यहाँ पर पहले पिक्चर हाल भी था. आओ आपको सरसावा कि प्रमुख चीजों से आबरू कराते हैं.
सरसावा का पुराना नाम शिरसागढ था यह माना जाता है कि यहाँ जहारवीर जी कि माँ का परिवार था और उनकी माँ का नाम काछल, बाछल था. यहाँ पर उनके नाम का मंदिर बना हुआ है.
सरसावा में स्थित पहाड़ी नुमा टीके को कोट के नाम से जाना जाता है.यह जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर है. संस्कृत में कोट का अर्थ किला होता है. इससे माना जाता है पहले यहाँ किला रहा होगा सैकड़ों बिघा में फैले इस टीले से वर्ष 1972 में सिक्के, मिट्टी के बर्तन व काले पड चुके अनाज के दाने मिले थे यह चीजें ज्यादातर वर्षा के मौसम में पाई जाती थी. क्योंकि वर्षा के कारण मिट्टी टीले से बह जाती थी और सिक्के दिखाई देते थें. इस स्थान कि तार बंदी करा यहाँ एक चौकीदार नियुक्त किया था, और दरवाज़ा भी लगाया था.
यह टीला किस कारण बना और क्यों(सरसावा का इतिहास)?
बड़े बुजुर्ग हमें यह बताया करते थे. की यहाँ एक राजा का महल था और वहाँ जब किसी कि नई शादी होतीं थी, तो उसकी पत्नी को एक रात अपने महल में रखता था, और फिर एक लड़की की शादी हुई और राजा ने उसे अपने महल में बुलवाया और तब उसने कहा कि अगर मैं शत की हूँ तो हे भगवान ये महल पलट जाए, वह महल पलट गया और टिला बन गया, आज भी टिले के ऊपर पिर है, आज भी वह स्थान सबसे ऊँचा है.
सरसावा में एक शिव जी का पुराना मंदिर है, जिसको बनखणडी के नाम से जाना जाता है, और इसे बनीं भी कहते हैं.यह कबरिस्तान के ऊपर है, इसे लोग पहले से जानते थे.यह एक पत्थर का शिव लिंग और लोगों ने उसे बहुत बार तोड़ने की कोशिश की पर वह फिर से शिव लिंग का आकार ले लेता था, जिसके कारण अब यहाँ शिव का मंदिर है.उन लोगो को कबरिस्तान की जगह दे दी गई है, उस जगह पर अब मदरसा है. यहाँ पर एक पिक्चर हाल हुआ करता था, लेकिन अब नहीं है.
सरसावा में एक प्रमुख हवाई अड्डा भी है, वह भी बहुत पुराना है. जिसके कारण सरसावा को जाना जाता है, और यहाँ लोग दूर दूर से हवाई अड्डा को देखने आते है, पहले इस अड्डे के बारे में बहुत कम लोगों को पता था, पहले यह अड्डा गुप्त था.
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This article is written by a Sarsawa City Residence only- Ms Shaanu Chaudhary ( she is studying in college right now)
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